यक्ष प्रश्न !!
कौन हूं मैं ?
तुम ना ये शरीर हो, ना मन, ना बुद्धि , तुम शुद्ध चेतना हो, वो चेतना ही सर्व साक्षी है
जीवन का उद्देश्य क्या है ?
जीवन का उद्देश्य उसी चेतना को जानना है, जो जन्म और मरण के बंधन से मुक्त है । उसे जानना ही मोक्ष है ।
जन्म का कारण क्या है ?
अतरिक्त वासनाएं, कामनाएं और कर्मफल, यही जन्म का कारण है ।
जन्म और मरण के बंधन से मुक्त कौन है ?
जिसने स्वयं, उस आत्मा को जान लिया । वह जन्म और मरण के बंधन से मुक्त है ।
वासना और जन्म का संबंध क्या है ?
जैसी वासना वैसा जन्म, यदि वासनाएं पशु जैसी तो पशु योनि में जन्म , यदि वासनाएं मनुष्य जैसी तो मनुष्य योनि में जन्म !!
संसार में दुख क्यों है ?
लालच, स्वार्थ और भय संसार में दुख के कारण है
ईश्वर ने दुख की रचना क्यों की ?
ईश्वर ने संसार की रचना की, और मनुष्य ने अपने विचार और कर्मों से सुख और दुख की रचना की ।
क्या ईश्वर है ? कौन है वह ? क्या रूप है उसका ? क्या वह स्त्री है या पुरुष ?
हे यक्ष !! कारण के बिना कार्य नहीं !! यह संसार उस कारण के अस्तित्व का प्रमाण है तुम हो इसलिए वो भी है उस महान कारण को ही अध्यात्म में ईश्वर कहा गया है ।वो ना स्त्री है ना पुरुष !!
उसका स्वरूप क्या है ?
वो सच्चिदानन्द है, वो अनाकार ही सभी रूपों में स्वयं को व्यक्त करता है ।
वह अनाकार स्वयं करता क्या है ?
वह ईश्वर संसार की रचना, पालन और संहार करता है ।
यदि ईश्वर ने संसार की रचना की तो फिर ईश्वर की रचना किसने की ?
वह अजन्मा, अमृत और अकारण है ।
भाग्य क्या है ?
हर क्रिया, हर कार्य का एक परिणाम है परिणाम अच्छा भी हो सकता है , परिणाम बुरा भी हो सकता है । यह परिणाम ही भाग्य है ।आज का प्रयत्न कल का भाग्य है ।
सुख और शांति का रहस्य क्या है ?
सत्य, सदाचार प्रेम और क्षमा सुख का कारण है ।असत्य,अनाचार, घृणा और क्रोध का त्याग शांति का मार्ग है ।
चित्त पर नियंत्रण कैसे संभव है ?
इच्छाएं, कामनाएं चित्त में उद्वेग उत्पन्न करती हैं इच्छाओं पर विजय चित्त पर विजय है ।
सच्चा प्रेम क्या है ?
स्वयं को सभी में देखना सच्चा प्रेम है । स्वयं को सर्व व्याप्त देखना सच्चा प्रेम है । स्वयं को सभी के साथ एक देखना सच्चा प्रेम है ।
तो फिर मनुष्य सभी से प्रेम क्यों नहीं करता ?
जो स्वयं को सभी में नहीं देख सकता वह सभी से प्रेम नहीं कर सकता ।
आसक्ति क्या है ?
प्रेम में मांग, अपेक्षा, अधिकार आसक्ति है ।
बुद्धिमान कौन है ?
जिसके पास विवेक है ।
नशा क्या है ?
आसक्ति
चोर कौन है ?
इन्द्रियों के आकर्षण, जो इन्द्रियों को हर लेते हैं चोर है ।
जागते हुए भी सोया कौन है ?
जो आत्मा को नहीं जानता, वो जागते हुए भी सोया है ।
कमल के पत्ते पर पड़े जल की तरह अस्थाई क्या है ?
यौवन, धन और जीवन !!
नरक क्या है ?
इन्द्रियों की दासता नरक है ।
मुक्ति क्या है ?
अनासक्ति ही मुक्ति है ।
दुर्भाग्य का कारण क्या है ?
मद और अहंकार !!
सौभाग्य का कारण क्या है ?
सत्संग और सब के प्रति मैत्री भाव !!
सारे दुखों का नाश कौन कर सकता है ?
जो सब छोड़ने को तैयार हो !!
मृत्यपर्यन्त यातना कौन देता है ?
गुप्त रूप से किया गया अपराध !!
दिन रात किस बात का विचार करना चाहिए ?
सांसारिक सुखों की क्षण-भंगुरता !!
संसार को कौन जीतता है ?
जिसमे सत्य और सुधा है ।
भय से मुक्ति कैसे संभव है ?
वैराग्य से !!
मुक्त कौन है ?
जो अज्ञान से परे है ।
अज्ञान क्या है ?
आत्मज्ञान का अभाव ही अज्ञान है ।
दुखों से मुक्त कौन है ?
जो कभी क्रोध नहीं करता !!
क्या है जो अस्तित्व में है भी और नहीं भी ?
माया !!
माया क्या है ?
नाम और रूपधारी नाशवान जगत !!
परम सत्य क्या है ?
ब्रह्म !!
उपनिषद गंगा धारावाहिक के एपिसोड 27 'खोज' से !
कौन हूं मैं ?
तुम ना ये शरीर हो, ना मन, ना बुद्धि , तुम शुद्ध चेतना हो, वो चेतना ही सर्व साक्षी है
जीवन का उद्देश्य क्या है ?
जीवन का उद्देश्य उसी चेतना को जानना है, जो जन्म और मरण के बंधन से मुक्त है । उसे जानना ही मोक्ष है ।
जन्म का कारण क्या है ?
अतरिक्त वासनाएं, कामनाएं और कर्मफल, यही जन्म का कारण है ।
जन्म और मरण के बंधन से मुक्त कौन है ?
जिसने स्वयं, उस आत्मा को जान लिया । वह जन्म और मरण के बंधन से मुक्त है ।
वासना और जन्म का संबंध क्या है ?
जैसी वासना वैसा जन्म, यदि वासनाएं पशु जैसी तो पशु योनि में जन्म , यदि वासनाएं मनुष्य जैसी तो मनुष्य योनि में जन्म !!
संसार में दुख क्यों है ?
लालच, स्वार्थ और भय संसार में दुख के कारण है
ईश्वर ने दुख की रचना क्यों की ?
ईश्वर ने संसार की रचना की, और मनुष्य ने अपने विचार और कर्मों से सुख और दुख की रचना की ।
क्या ईश्वर है ? कौन है वह ? क्या रूप है उसका ? क्या वह स्त्री है या पुरुष ?
हे यक्ष !! कारण के बिना कार्य नहीं !! यह संसार उस कारण के अस्तित्व का प्रमाण है तुम हो इसलिए वो भी है उस महान कारण को ही अध्यात्म में ईश्वर कहा गया है ।वो ना स्त्री है ना पुरुष !!
उसका स्वरूप क्या है ?
वो सच्चिदानन्द है, वो अनाकार ही सभी रूपों में स्वयं को व्यक्त करता है ।
वह अनाकार स्वयं करता क्या है ?
वह ईश्वर संसार की रचना, पालन और संहार करता है ।
यदि ईश्वर ने संसार की रचना की तो फिर ईश्वर की रचना किसने की ?
वह अजन्मा, अमृत और अकारण है ।
भाग्य क्या है ?
हर क्रिया, हर कार्य का एक परिणाम है परिणाम अच्छा भी हो सकता है , परिणाम बुरा भी हो सकता है । यह परिणाम ही भाग्य है ।आज का प्रयत्न कल का भाग्य है ।
सुख और शांति का रहस्य क्या है ?
सत्य, सदाचार प्रेम और क्षमा सुख का कारण है ।असत्य,अनाचार, घृणा और क्रोध का त्याग शांति का मार्ग है ।
चित्त पर नियंत्रण कैसे संभव है ?
इच्छाएं, कामनाएं चित्त में उद्वेग उत्पन्न करती हैं इच्छाओं पर विजय चित्त पर विजय है ।
सच्चा प्रेम क्या है ?
स्वयं को सभी में देखना सच्चा प्रेम है । स्वयं को सर्व व्याप्त देखना सच्चा प्रेम है । स्वयं को सभी के साथ एक देखना सच्चा प्रेम है ।
तो फिर मनुष्य सभी से प्रेम क्यों नहीं करता ?
जो स्वयं को सभी में नहीं देख सकता वह सभी से प्रेम नहीं कर सकता ।
आसक्ति क्या है ?
प्रेम में मांग, अपेक्षा, अधिकार आसक्ति है ।
बुद्धिमान कौन है ?
जिसके पास विवेक है ।
नशा क्या है ?
आसक्ति
चोर कौन है ?
इन्द्रियों के आकर्षण, जो इन्द्रियों को हर लेते हैं चोर है ।
जागते हुए भी सोया कौन है ?
जो आत्मा को नहीं जानता, वो जागते हुए भी सोया है ।
कमल के पत्ते पर पड़े जल की तरह अस्थाई क्या है ?
यौवन, धन और जीवन !!
नरक क्या है ?
इन्द्रियों की दासता नरक है ।
मुक्ति क्या है ?
अनासक्ति ही मुक्ति है ।
दुर्भाग्य का कारण क्या है ?
मद और अहंकार !!
सौभाग्य का कारण क्या है ?
सत्संग और सब के प्रति मैत्री भाव !!
सारे दुखों का नाश कौन कर सकता है ?
जो सब छोड़ने को तैयार हो !!
मृत्यपर्यन्त यातना कौन देता है ?
गुप्त रूप से किया गया अपराध !!
दिन रात किस बात का विचार करना चाहिए ?
सांसारिक सुखों की क्षण-भंगुरता !!
संसार को कौन जीतता है ?
जिसमे सत्य और सुधा है ।
भय से मुक्ति कैसे संभव है ?
वैराग्य से !!
मुक्त कौन है ?
जो अज्ञान से परे है ।
अज्ञान क्या है ?
आत्मज्ञान का अभाव ही अज्ञान है ।
दुखों से मुक्त कौन है ?
जो कभी क्रोध नहीं करता !!
क्या है जो अस्तित्व में है भी और नहीं भी ?
माया !!
माया क्या है ?
नाम और रूपधारी नाशवान जगत !!
परम सत्य क्या है ?
ब्रह्म !!
उपनिषद गंगा धारावाहिक के एपिसोड 27 'खोज' से !
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